जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
शिव आरती
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
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अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए shiv chalisa lyricsl हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।
. शिव चालीसा लिरिक्स के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न होते हैं
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में Shiv chaisa पूछत नहिं कोई॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
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